PDF Details
Language | Hindi |
PDF size | 8 MB |
No of Pages | 1296 |
Bhagwat Geeta book in Hindi PDF
भगवद गीता, जिसे लोकप्रिय रूप से गीता के नाम से जाना जाता है, एक पवित्र हिंदू अलौकिक ग्रन्थ है जिसका गहरा दार्शनिक और धार्मिक महत्व है, लगभग हज़ार साल पुराना, यह प्राचीन ग्रन्थ आज भी लोगों को उनकी आध्यात्मिक यात्रा में प्रेरित और मार्गदर्शक बनता है.
भगवद गीता, भारतीय महाकाव्य, महाभारत का एक भाग है जो कुरुक्षेत्र के युद्ध मैदान पर राजकुमार अर्जुन और भगवान कृष्ण के बीच में संवाद को बयान करता है। Bhagwat Geeta में 18 पर्ब और 700 स्लोक हैं। Bhagwat Geeta महाभारत के भीष्म पर्ब का एक अंश है ।
Bhagwat Geeta की उत्तपती
भगवद गीता को लगभाग 2,000 साल पहले लिखा गया था, और इसका श्रेय महर्षि बेदव्यास को जाता है। इसमे कैसे महाभारत युद्ध के दौरन अर्जुन अपने ही रिस्तेदारों से लड़ने का नैतिक संकट का सामना करते है उसके बारे मे बरणित हे ।जब अर्जुन दुबिधा मे होते हें तब, कृष्ण अर्जुन को अमर ज्ञान और मार्गदर्शन प्रदान करते हैं, उनके संदेह और दुविधाओं का समाधान करते हैं।
Bhagwat Geeta का मनुष्य जीबन में उपयोगिता
श्री कृष्ण कहते हैं ब्यक्ति को निष्काम भावो से कर्म करते हुए फल की इच्छा नहीं करनी चाहिए।
श्री कृष्ण कहते हैं –
कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन।
मा कर्मफलहेतुर्भू: मा ते सङ्गोस्त्वकर्मणि।।
आर्थत श्री कृष्ण कहते हैं की हे अर्जुन कर्म करने में तेरा अधिकार है, इसके फलों के बिसायों तू मत सोच, इसीलिए तू कर्मों के फल का हेतु मत खोज और कर्म न करने के बिसय मे भी तू आग्रह न कर।
अर्थात:- निष्काम कर्म हीं सर्व सरेसठ परिणाम देता है । इसीलिए बिना किसी फल की कामना के अपना कर्म मन लगा कर करते रहो, फल देना ना देना ये सभी बातें परमात्मा पर छोड़ दो, कयौं की परमात्मा ही सभी का पालन करता है।
श्री कृष्ण कहते हैं –
यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत ।
अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम् ॥
परित्राणाय साधूनां विनाशाय च दुष्कृताम् ।
धर्मसंस्थापनार्थाय सम्भवामि युगे युगे ॥
अर्थात श्री कृष्ण कहते हैं की – हे अर्जुन धरती पर जब जब धर्म की हानी होने लगती हे और अधर्म आगे बढ़ने लगती है, तब तब में स्वयं धरती पर जन्म लेता हूँ। सज्जनों की रक्षा,दुर्जनों का बिनाश और धर्म की पुनः स्थापना के लिए में बिभीन्न यौगौं कालों में आबतरित होता हूँ।
धर्म ग्रन्थ के अनुशार मरगसिर मास के सुकल पक्ष की एकादशी तिथि को भगबन श्री कृष्ण ने कुरूखेत्र मे अर्जुन को गीता का उपदेश दिया था, प्रतिबर्ष इस तिथि को गीता जयंती का पर्ब मनाया जाता है।
Bhagwat Geeta का हिंदू धर्म में महत्व
भगवद गीता को हिंदू धर्म का एक महत्व पूर्ण ग्रंथ माना जाता है, जिसे दर्शनिक गहराई और आध्यात्मिक दृष्टि से देखा जाता है। यह एक धार्मिक जीवन और आध्यात्मिक वृद्धि के लिए एक मार्गदर्शक ग्रंथ के रूप में माना जाता है, जो हर युग और परिस्थिती में काम आ सकता है।
बर्तमान समय मे गीता सबसे ज्यादा पढे जाने बाली ग्रन्थ है। गीता के कुल 700 सलोकों के बीच करीब हर उस समस्या का समाधान है जो कभी न कभी हर इंसान के सामने आती है। गीता भरीतिया संस्कृति की आधार सीला है । हिन्दू सास्रों और पुराणों में गीता का सरब प्रथम स्थान है।
Bhagwat Geeta पाठ करनेकी बिधी [ कैसे पढे ]
दोस्तों Bhagwat Geeta गीता जी का पाठ आरंभ करने से पुर्ब निम्न सलोकों को भबर्थ सहित पढ़कर श्री हरी विष्णु का मानमे ध्यान करें ।
शान्ताकारं भुजगशयनं पद्मनाभं सुरेशं
विश्वाधारं गगनसदृशं मेघवर्ण शुभाङ्गम् ।
लक्ष्मीकान्तं कमलनयनं योगिभिर्ध्यानगम्यम्
वन्दे विष्णुं भवभयहरं सर्वलोकैकनाथम् ॥
इसका अर्थ हे friends जिनकी आकृति अतिसय सांत हे, जो सेस नाग की सैया पर सयन किए हुए हैं। जिनकी नाभि में कमल है जो देबताओ के भी ईश्वर और सम्पूर्ण जगत के आधार हैं जो आकाश के सादृश्य सरबत्र ब्यापत हैं, नील मेघ के समान जिनका बर्न है, अतिसय सुंदर जिनके सम्पूर्ण अंग हैं, जो योगियों द्वारा ध्यान करके प्राप्त कीए जाते हैं ।
जो सम्पूर्ण लोकों के स्वामी हैं,जो जन्म, मरण,रूप भय का नास करने वाले हैं एसे लक्ष्मी पति कमलनयन भगबन श्री हरी विष्णु को में प्रणाम करता हूँ। ब्रम्हा, वरून, रुद्र, इन्द्र, और मरुद्र गण दिव्य मंत्रों द्वारा जिनकी स्तुति करते हैं। देबता और असुर जिनके अंत को नहीं जानते उन परम पुरुष नारायण देव के लिए मेरा नमस्कार है, एसी भाबना के साथ आप Bhagwat Geeta का पाठ आरंभ कर सकते हैं ।
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